Thursday, March 17, 2011

वसन्त- हाइकु


1
वसन्त है आया
धरती ने बदली
अपनी काया
2
कूकी कोयल
तभी हो गया तय
आया वसन्त
-सतीशराज पुष्करणा
1
आते वसन्त
रंग-बिरंगे पेड़
लगते सन्त
2
खिड़की खोलो
मधुमास की हवा
देती दस्तक
3
उगते पात
देख मधुमास को
हँसते गात
-राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’
1
मधु ॠतु में
यौवन इठलाता
सपने जगाता
-सूर्यदेव पाठक ‘पराग’
-0-
1
बहका मन
फगुनाया मौसम
आ जाओ पिया
2
पगला गई
वासन्ती बयार
तुम न आए
3
वैरागी मन
उसे देख बौराया
साधना टूटी
डॉ उर्मिला अग्रवाल