Tuesday, July 16, 2013

सब वही है,पर


डॉ सतीशराज पुष्करणा
1
सावन माह
आया समय पर
हुआ क्या लाभ ?
अगर झूमकर
पानी नहीं बरसा।
2
सागर क्या है
वो क्या जान पाएगा,
आज तक जो
बाहर नहीं आया 
आँगन के कुएँ से ।
3
उन्हें कोई भी
पकड़ लेगा कैसे
वो तो आज भी
काफ़ी लम्बे -चौड़े हैं
क़ानून  के हाथों  से ।
4
बादल आया
बूँदों को बरसाने
किसने फोड़ा
नाराज़ बादल को
बहा दिए शहर ।
5
बूढ़े चाँद की
नीयत ज़रा देखो-
देखा करता
उनके चेहरे को
बादलों की ओट से ।
6
सब वही है
पर क्या कहें हम
पापा के जाते
सूर्य -सी रौशन माँ
अब रात हो गई ।
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