Friday, November 9, 2012

यादों के फूल


डॉ.उर्मिला अग्रवाल
1
यादों के फूल
खिल उठे मन में
सुरभि व्यापी ।
2
उजास फैली
भोर किरन नहीं
तेरी याद थी ।
3
तनहाई में
भर जाती मिठास
तुम्हारी याद ।
4
फैला उजाला
विहँस उठीं यादें
फिर तुम्हारी ।
5
सुवासित है
जीवन की बगिया
स्मृति-पुष्पों से ।
6
प्रीत की यादें
समेट ही लेती हैं
बिखरा मन ।
7
जम के बैठीं
प्रेम पगी स्मृतियाँ
मन-कुटिया ।
8
सीले-से दिन
चमके हैं जुगनू
तेरी याद के ।
9
खाली था मन
चली आईं सुधियाँ,
डेरा जमाने ।
10
कैसे समेटूँ
यादें भरी मन में
बेतरतीब ।
11
छलिया याद
प्राणों में कसकती
कंटक  बन ।
12
रोज रुलातीं
तीखी -कड़वी यादें
छीलतीं जातीं ।
चीरती जाती ।?
13
संभव है क्या?
तुम्हारी स्मृतियों से
मेरी विदाई ?
14
यादों की गंध
बेचैन हो उठा है
मधुप मन।
15
कान्हा की यादें
सिसकी भर रहा
राधा का मन ।
16
जब-जब भी
जग ने बहकाया ,
तू याद आया ।
17
मन-मंदिर
तेरी यादों का दिया
जलता रहा ।
18
चाँदनी रात
डबडबाई आँखें
तुम्हारी यादें।
19
मन -आसमाँ
कोहरे की चादर
तुम्हारी याद ।
20
तुम्हारी यादें
गुनगुनाती रहीं
विरहगीत ।
-0-

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