डॉ सतीशराज पुष्करणा
1-दिवाली हुई
जिस रात उजाला
मन में हुआ ।
2-दीपों से नहीं
ज्ञान के प्रकाश से
होती दिवाली ।
3-दिवाली पर्व
भूखा जो कोई सोया
प्रकाश रोया ।
4-मन में तम
कैसे कोई मनाए
दिवाली-पर्व ।
5-दीपावली है
तम से प्रकाश में
जाने का नाम ।
6-कैसी दिवाली ?
बाहर उजाला है
मन अँधेरा ।
7-मिली है जब
अँधेरे पे विजय
दिवाली हुई ।
8-समय पर
रात बीत जाएगी
धैर्य बनाएँ।
9-दीपों का पर्व
सिर्फ़ नहीं दिवाली
संस्कार भी है ।
10-दीप से घर
ज्ञान से सारा जग
रौशन होता ।
दीपावली के अवसर पर ये हाइकु जनमानस को जाग्रत करने वाले तथा प्रेरणा देने वाले हैं। हार्दिक बधाई !
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