Sunday, June 12, 2011

मंजु मिश्रा, :अवधी हाइकु


रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव , डैलास , यू एस ए
1
टघराई दे
घिना बर्फ पहाड़
पियार गर्मी
2
 सोयो मत
 चुरा  लेईहियें वै
तोर सपना
3
दोपहरी के
कड़ी धूपिया  बाद
निक है साम
 4
जायेक  रहा
तौ  काहे बांध गयो 
यदा कै डोर
5
मन पगला
रोये दिन रतियाँ
सथवा  छुट
6
बिधि कै लेखा
के बदल सकत ?
जाये रहा  गै
7
जिन्नगी चल
दिहिस  अकेलै  मा                                 
रुकी  है ,नाही
8
कठिन रस्ता
मनवा है उदास
जियेक  ते  है
9
मनवा चल
मकसद जियेकै
कौऊनो   ढूँढ
10
आपन नाही
पर कौनो दुःख के
सहारा तो   दे !
11
जग निराला
रहिया पिरेम कै
बिस कै प्याला
-0-

2 comments:

  1. पढ़ कर मन खुश हो गया... अवधी रुपान्तर मूल रचना से जादा सुन्दर बन पड़ा है .... रचना जी को हार्दिक आभार

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  2. खूबसूरत प्रस्तुति , आभार .

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