रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव , डैलास , यू एस ए
टघराई दे
घिना बर्फ पहाड़
पियार गर्मी
2
2
सोयो मत
चुरा लेईहियें वै
तोर सपना
3
दोपहरी के
कड़ी धूपिया बाद
निक है साम
4
जायेक रहा
तौ काहे बांध गयो
यदा कै डोर
5
मन पगला
रोये दिन रतियाँ
सथवा छुट
6
बिधि कै लेखा
के बदल सकत ?
जाये रहा गै
7
जिन्नगी चल
दिहिस अकेलै मा
रुकी है ,नाही
8
कठिन रस्ता
मनवा है उदास
जियेक ते है
जियेक ते है
9
मनवा चल
मकसद जियेकै
कौऊनो ढूँढ
10
आपन नाही
पर कौनो दुःख के
सहारा तो दे !
11
जग निराला
रहिया पिरेम कै
बिस कै प्याला
रहिया पिरेम कै
बिस कै प्याला
-0-
पढ़ कर मन खुश हो गया... अवधी रुपान्तर मूल रचना से जादा सुन्दर बन पड़ा है .... रचना जी को हार्दिक आभार
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति , आभार .
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