रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव , डैलास , यू एस ए
पेड़वा के छईयाँ
राही बैइठे
के भई कथा
2
जाई कहवाँ
बोलत चिरैईया
टूटल बाग
3
तोहरे बिना
हमार ई मनवा
नहीं है पूरा
4
कुदत्त रही
रूठ गै गौरैईया
बगिया सून
5
तोहरे आये
फिर जियेंन हम
अब न जायो
6
मोर सवाल
उलझावे हमका
के सुलझावे
7
के समझावे
कैइयो है सवाल
नाही जवाब
8
अधूरी आसा
भटकत मनवा
नाही उपाय
9
पल पिरेम
देत है घाव
रोवत है मनवा
10
याद मा तुम
जेइसन आकास
महकी हम
11
लौउटे कहाँ
परदेसी मनवा
घरवा नाही
12
होत विनास
कुल ओर आतंक
रोत प्रकिती
13
ई परलय
ढहि गवा वजूद
जिन्नगी नाही
14
पिरेम -बाग
ई उजड़ेक रहा
राही बैइठे
के भई कथा
2
जाई कहवाँ
बोलत चिरैईया
टूटल बाग
3
तोहरे बिना
हमार ई मनवा
नहीं है पूरा
4
कुदत्त रही
रूठ गै गौरैईया
बगिया सून
5
तोहरे आये
फिर जियेंन हम
अब न जायो
6
मोर सवाल
उलझावे हमका
के सुलझावे
7
के समझावे
कैइयो है सवाल
नाही जवाब
8
अधूरी आसा
भटकत मनवा
नाही उपाय
9
पल पिरेम
देत है घाव
रोवत है मनवा
10
याद मा तुम
जेइसन आकास
महकी हम
11
लौउटे कहाँ
परदेसी मनवा
घरवा नाही
12
होत विनास
कुल ओर आतंक
रोत प्रकिती
13
ई परलय
ढहि गवा वजूद
जिन्नगी नाही
14
पिरेम -बाग
ई उजड़ेक रहा
सीचैव नाही
15
गोडवा ज़ख़्मी
रहिया मा कँटवा
कहवाँ जाईं
कहवाँ जाईं
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