Saturday, November 5, 2011

हाइकु-2


डॉ अनीता कपूर
एम ए (हिन्दी-अंगरेज़ी) , पी-एच डी, तीन काव्य -संग्रह प्रकाशित , सम्प्रति: स्वतन्त्र पत्रकारिता के साथ  अमेरिका के एक हिन्दी साप्ताहिक के सम्पादन से जुड़ी हैं ]
1
कटोरा धूप
रोटी रात की जैसे
गिरे आँगन
2
कुछ जो रिश्ते
बन गए आदत
दिल घायल
3
रंग हैं सातों
फागुन की कटोरी
अधूरी चाह
4
शिकवा रात का -
क्यों चुराए सितारे
सवेरा हँसा
5
जख़्मी सपने
तोडते मेरी नींद
भोर है दूर्।
6
जल ही गई
सिगरेट उम्र की
धुआँ भी नहीं।
7
टूटा सपना
आँसू भीगा चेहरा
चटकी रातें ।
8
तू   जैसे  बाँध
मैं  मचलती नदी
उर्मि-गर्जन
9
फिसली  रेत
उँगलियों से जैसे,
वक्त खो गया
10-
देख चेहरा
दर्पण के सवाल
कितने साल?
-0-

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