Saturday, November 5, 2011

हाइकु-4


उर्मि चक्रवर्ती,आस्ट्रेलिया
हिन्दी में काव्य रचना , हिन्दी ब्लॉग का कई वर्षों से संचालन
1
रोए पर्वत,
चूम कर मनाने,
झुके बादल !
2
कुछ जज़्बात,
काले बादलों जैसे,
छाए मन में।
3
हल्की फुहार,
रिमझिम के गीत,
रुके न झड़ी !
4
एक भावना,
उभर कर आई,
बरस गई।
5
बादल संग,
आँख मिचौली खेले,
पागल धूप !
6
करे बेताब,
ये भयंकर गर्मी,
होगी बारिश !
7
झुका के सर,
चुपचाप नहाए,
शर्मीले पेड़ !
8
गीली आँखें,
कर गई मन को,
हल्का हवा-सा।
9
ओढ़ चादर,
धरती आसमान,
फूट के रोए !
10
मन मचला,
हुआ है प्रफुल्लित,
नया आभास !
-0-

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