Saturday, November 5, 2011

हाइकु-7


डॉ. जेन्नी शबनम
शिक्षा : एम.ए, एल एल.बी, पी एच. डी; कार्यक्षेत्र : अधिवक्ता, समाज सेवा ,कोषाध्यक्ष, अंगिका डेवलपमेंट सोसाइटी, बिहार ,सचिव, वी.भी.कॉलेज ऑफ़ एजूकेशन, भागलपुर, बिहार । कई सौ कविताएँ रची , हाइकु , ताँका , क्षणिका की रचना ;ब्लॉग-http://lamhon-ka-safar.blogspot.com
1
अज़ब भ्रम
कैसे समझे कोई
कौन अपना
2
मन तड़पा
भरमाये है जिया
मैं निरुपाय
3
दंभ जो टूटा
फिर कैसा उल्लास
विक्षिप्त मन
4
मन चहका
घर आये सजन
बावरा मन
5
मेरी कहानी
बिसरा
दुनिया
ज्यों हो पुरानी.
6
कड़वी बोली
कर जाती आहत ,
मधुर बोल !
7
हुलसे जिया
घिर आये बदरा
जल्दी बरसे
8.
धरती ढ़े
बादलों की छतरी
सूरज छुपा.
9.
कारे बदरा
टिप टिप बरसे
मन हरसे.
10.
ठिठके खेत
कर जोड़ पुकारे
बरसो मेघ!
-0-



No comments:

Post a Comment