रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
शिक्षा: एम ए हिन्दी , बी-एड्
कविता , व्यंग्य लघुकथा , बालसाहित्य , समीक्षा , व्याकरण सभी विधाओं में लेखन और सम्पादन , कई पुस्तकें प्रकाशित । हाइकु , ताँका और चोका में विशेष कार्य ।
1
रिश्तों से परे
प्राणों में समा जाए
मीत का प्यार
2
गर्म रेत की
मीत सूखे खेत की
है जलधार
3
बिना घटा ही
नैन बरस गए
चुभी जो बातें
4
रंग व रूप
दिन भर की धूप
साँझ की छाया
5
धोना पड़े जो
कभी मन-आँगन
आँसू बचाना
6
छीनी है रोटी
छप्पर भी सिर से
बची लँगोटी
7
ओस में धुला
पंखुरी ने छू दिया
निखरा रूप
8
घिरी उदासी
तकें अँखियाँ प्यासी
कहाँ हो तुम?
9
कैसे मिलेंगे ?
सपने में ही आओ
बचा उपाय
10
आँखों में प्यास
कहीं न मिले तुम
दिल उदास
-0-
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