Saturday, November 5, 2011

हाइकु-5


डॉ हरदीप कौर सन्धु, सिडनी (आस्ट्रेलिया)
शिक्षा :बी. एससी; बी.एड. एम. ए
-सी. ( बनस्पति विज्ञान ) , एम. फिल. (इकॉलोजी ), पीएच.डी.( बनस्तपति विज्ञान),लेखन की विधाएँ : कविता, कहानी, लेख, हाइकु, ताँका ,चोका (पंजाबी व हिन्दी भाषा)
प्रकाशन :
मिले किनारे (तांका एवं चोका संग्रह), पत्र-पत्रिकाओं एवं संकलनों में प्रकाशन, हाइकु, तांका-चोका का विश्वस्तरीय ब्लॉग संचालित  ।
1
कभी लगती 
सर्दी की धूपजैसी
यह जिन्दगी 
2
जीवन नहीं 
है साँसों का चलना 
जी भर जियो 
3
छनन -छन 
मन -घुँघरु बजे
जीवन हँसे 
4
वक्त न रुका 
न ये रुकेगा कभी 
जाए बदल
5
ऋण में मिले
ये साँस पवन से
तब तू जिए
6
नहीं चलेगा
तेरा कोई बहाना
मृत्यु जो आए 
7
तुम जो मिले 
किस्मत की स्याही भी 
रंग ले आई 
8
प्यार फूँक दे
बेजान बदन में
श्वास -प्राण से 
9
तुम क्या गए
ले गए हँसी मेरी
अपने साथ
10
फूलों के अंग 
खुशबू ज्यों रहती
तू मेरे संग 
-0-

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